अगर आप दुश्मन की औकात शायरी या फिर दुश्मन को जलाने वाली शायरी तलाश कर रहे है तो इस लेख में बेस्ट Attitude दुश्मन को जलाने वाली शायरी हिंदी में लिखी गई है। साथ ही यहाँ पर दुश्मन को धमकी देने वाली शायरी भी लिखी गयी है।
दुश्मन की औकात शायरी
लोगों के दिलों से नफरत को दूर कर रहा,
दुश्मन को उसकी ही औकात दिखा रहा।
Logon ke dilo se nafrat ko dur kar raha hoon,
Dushman ko uski hi aukat dikha raha hoon.
हम अपनों को कुछ ऐसा सिखाएंगे,
सही वक्त पर दुश्मन को औकात दिखाएंगे।
Hum apno ko kuchh asa sikhayenge,
Sahi waqt par dushman ko aukat dikhayenge.
हमारे जैसे लोगों में जज्बात नही,
हमारे सामने दुश्मन की औकात नही।
Hamare jaise logon me jajbat nahi,
Hamare samne dushman ki aukat nahi.
हमें भले ही कुछ आता हो या ना आता हो,
पर हमें अच्छे से आता है दुश्मन को औकात में रहना सीखना।
Hume bhale hi kuchh aata ho ya na aata ho,
Par hume achchhe se aata hai dushman ko aukat me rahna sikhana.
दुश्मन को जलाने वाली शायरी
हमने है कुछ तो जज्बात,
हमें आदत नही है पुछने की दुश्मन की औकात।
Humne hai kuchh to jajbat,
Hume aadat nahi hai puchhne ki dushman ki aukat.
दुश्मनो के दुश्मन यारों के यार है हम,
अगर दुश्मन औकात की बात करे उस पर सवार है हम।
Dushmano ke dushman yaro ke yar hai hum,
Agar dushman aukat ki bat kare us par sawar hai hum.
एटिट्यूड हम जरूर रखते है,
पर दुश्मन को औकात दिखाने के लिए।
Attitude hum jarur rakhte hai,
Par dushman ko aukat dikhane ke liye.
दुश्मनी करो तो अपनी ही औकात वालों से करो,
हमसे करने की कोशिश भी मत करो।
Dushmani karo to apni hi aukat walo se karo,
Humse karne ki koshish bhi mat karo.
दुश्मन की औकात शायरी इन हिंदी
जिसकी हमारे सामने बोलने की सामत आयी है,
ऐसे दुश्मनों को हमने औकात दिखायी है।
Jiski hamare samne bolne ki samat aayi hai,
Ase dushmano ko humne aukat dikhayi hai.
जब लोग दोस्ती निभाने की कसम खाते है,
तब दुश्मन औकात दिखाते है।
Jab log dosti nibhane ki kasam khate hai,
Tab dushman aukat dikhate hai.
हमारा तो एक यही है दस्तूर ,
हम दुश्मन के घमंड को करते है चकनाचूर।
Hamara to ek yahi hai dastur,
Hum dushman ke ghamand ko karte hai chaknachur.
लोगों की जुबा पर वैसे तो हमारे बहुत चर्चे है,
दुश्मन की औकात क्या हमारे बहुत ही खर्चे है।
Logon ki juba par waise to hamare bahut charche hai,
Dushman ki aukat kya hamare bahut hi kharche hai.
दुश्मन को धमकी देने वाली शायरी
हर कोई दुखों का मारा,
दुश्मन सोचता है औकात हमारा।
Har koi dukhon ka mara,
Dushman sochta hai aukat hamara.
हम जीते है लोगों के खातिर,
दुश्मन दोस्ती करते है औकात दिखाने के खातिर।
Hum jeete hai logon ke khatir,
Dushman dosti karte hai aukat dikhane ke khatir.
हमें तो किसी बात का नही सुरुर है,
दुश्मन को खुद की औकात दिखाने का गुरूर है।
Hume to kisi bat ka nahi surur hai,
Dushman ko khud ki aukat dikhane ka gurur hai.
हमें जान नही प्यारी है,
बस दुश्मनों को उनकी ही औकात दिखानी है।
Hume jan nahi pyari hai,
Bas dushman ko unki hi aukat dikhani hai.
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दुश्मन को जलाने वाली शायरी हिंदी में
जो लोग शख्सियत देखकर जलने लगते है,
वो धीरे धीरे दुश्मन बनने लगते है।
Jo log shakhsiyat dekhkar jalne lagte hai,
Wo hi dhire dhire dushman banne lagte hai.
हम खुद ही बनाते है रास्ता,
दुश्मन से नही है हमें कोई भी वास्ता।
Hum khud hi banate hai rasta,
Dushman se nahi hai hume koi bhi wasta.
दुश्मन हमें देखकर हमसे जलते है,
हमें सामने नही बल्कि पीठ पीछे कहते है।
Dushman hume dekhkar humse jalte hai,
Hume samne nahi balki pith pichhe kahte hai.
अब लोगों को क्या हो गया,
हर कोई दोस्ती की बजाय दुश्मनी निभाने में लग गया।
Ab logon ko kya ho gaya,
Har koi dosti ki bajay dushmani nibhane me lag gaya.
दुश्मन को जलाने वाले स्टेटस
न जाने अब कैसी जिंदगी हो गई,
दोस्ती कम दुश्मनी ज्यादा हो गई।
Na jane ab kaisi zindagi ho gayi,
Dosti kam dushmani jyada ho gayi.
दुश्मनी की बात तो छोड़ो यारों,
पर हम दोस्ती अपने से बराबरी वालों से करते है।
Dushmani ki bat to chhodo yaro,
Par hum dosti apne se barabari walo se karte hai.
लोग कहते है कि खुशियां बांटने से खुशी दुगुनी हो जाती है,
पर आज तो खुशियां बांटने से दुश्मनी बढ़ जाती है।
Log kahte hai ki khushiya batne se khushi duguni ho jati hai,
Par aaj to khushiya batne se badh jati hai.
जब दोस्त ही फंसाते है जाल में,
तो क्या फर्क है दुश्मनों की चाल में।
Jab dost hi fansate hai jal me,
To kya fark hai dushman ki chal me.
दुश्मन की शायरी या दुश्मन पर शायरी
जो भी करीब थे वो दूर हो गए,
दुश्मन भी आज घुटने टेकने को मजबूर हो गए।
Jo bhi karib hote the wo dur ho gaye,
Dushman bhi aaj ghutne tekne ko majbur ho gaye.
हमें देखकर आजकल तो,
दुश्मन भी दोस्त बनने लगे है।
Hume dekhkar aajkal to,
Dushman bhi dost banne lage hai.
हम कुछ भी बोलने लगते है,
तो दुश्मन हमारे सामने झुकने लगते है।
Hum kuchh bhi bolne lagte hai,
To dushman hamare samne jhukane lagte hai.
दोस्ती करने से ही बढ़ती है यारी,
दुश्मन को जलता देख ये दुनिया हमें लगती है प्यारी।
Dosti karne se hi badhati hai yari,
Dushman ko jalta dekh ye duniya hume lagti hai pyari.
दुश्मन को जलाने की शायरी
अपने तो साथ है तो फिर किस बात का गम है साहब,
दुश्मनों को नीचा दिखाना हमारे वसुलो के है खिलाफ।
Apne to sath hai to phir kis bat ka gam hai sahab,
Dushmano ko nicha dikhana hamare wasulo ke hai khilaf.
कोई रंग नही है दोस्ती का,
कोई रंग नही है दुश्मनी का।
सब पर रंग चढ़ा है अपनी खुदगर्जी का।
Koi rang nahi hai dosti ka,
Koi rang nahi hai dushman ka,
Sab par rang Chadha hai apni khudgarji ka.
अपने दोस्तों के साथ ही धोखा कर जाते है,
धोखे की आड़ में दुश्मनी निभाते है।
Apne doston ke sath hi dhokha kar jate hai,
Dhokhe ki aad me dushmani nibhate hai.
Final Words – हम आशा करते है कि दुश्मन की औकात शायरी या दुश्मन को जलाने वाली शायरी हिंदी में लिखी गयी यह पोस्ट आपको पसंद आयी होगी। आप चाहे तो दुश्मन की शायरी पर लिखी गयी इस पोस्ट को व्हाट्सएप एवं फेसबुक पर शेयर भी कर सकते है।
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